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आइने में देखा — सीने पर हल्का उभार, टाँगों में भारीपन, आँखों के नीचे हलकी थकान। अब समझ आ रहा था — पिछले कुछ हफ्तों में जो शरीर में बदलाव था, वो सिर्फ लस्ट से भरी रातों का असर नहीं था… कुछ और भी पल रहा था।
उन्होंने मुझे बेड पर गिरा दिया, मेरी टीशर्ट ऊपर कर दी, ब्रा खींच ली। मेरे निप्पल पहले से खड़े थे — Rahul ने एक को मुँह में भर लिया। Sameer ने मेरी सलवार खींची और panty फाड़ी — मेरी चूत पूरी तरह भीगी थी।
Rajeev washroom गया, और Arman पास आया। "Priya, तू बहुत bold है… Rajeev तो lucky है…" मैं मुस्कुरा दी — "Boldness दिखती है तो रोक नहीं पाती…" "तू चाहो तो किसी और को भी मौका दे सकती है?" "शायद…" मैंने आँख मार दी। और यहीं से वो चाल शुरू हुई — जिसकी भनक भी मुझे नहीं लगी।
Sameer मेरा junior था। रोज़ मेरी छाती पर उसकी नज़र जाती थी — और मुझे ये देखना अच्छा लगने लगा था। एक दिन मैंने खुद उसे अकेले में बुलाया — कैंपस की दीवार के पीछे। "छूना है?" मैंने पूछा। उसकी आँखें चमक गईं — उसने मेरे निप्पल को ऊपर से देखा, जैसे पहली बार कुछ असली देखा हो।
अब वो मुझे उठा-उठाकर चोद रहा था… हर झटके में मेरी छाती हिल रही थी, मेरी चूत भर चुकी थी लेकिन उसकी भूख रुकी नहीं। मेरे होठों से चीखें निकल रही थीं — तेज़, रुक-रुक कर… जैसे orgasm में बसी हुई सिसकियाँ। मैं काँप रही थी… मेरे नाखून उसकी पीठ में धँस चुके थे… और मैं… मैं अपनी पहली झड़ में डूब रही थी… पूरी देह थरथरा रही थी।
हमने एक-दूसरे से वादा किया था — “Sex नहीं करेंगे, सिर्फ महसूस करेंगे…” लेकिन जिस्म की भूख और मोहब्बत के वादे अक्सर बिस्तर की नर्मी पर पिघल जाते हैं… उसने अपने लंड की नोक मेरी गांड की दरार पर रखी… धक्का देने की कोशिश की… लेकिन मेरी tight गांड में उसका लंड बार-बार फिसल रहा था… और तभी — एक झटका… और उसका लंड सीधा मेरी चूत में घुस गया…
मैं बिस्तर पर तेरे सामने नंगी बैठी हूँ… आँखों में कुछ नहीं… बस तुझमें पूरी तरह खो जाने की तलब…