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दोस्तों,मैं Priya हूँ... एक छोटी सी जगह में पली-बढ़ी, जहाँ सपनों को अक्सर चुप रहकर जीना सिखाया जाता है। लेकिन मेरे अंदर भी कुछ धड़कता था — चाह, गहराई, और एक अधूरापन।
और ये है मेरी पहली चुदाई की कहानी — जब मेरी seal टूटी और मेरे अंदर एक ऐसी भूख जागी, जिसने मुझे sex की लत में डुबो दिया। इस कहानी में जानिए मेरी पहली बार की जलन, डर, और उस सुकून की बात जो सिर्फ एक मर्द का लंड ही दे सकता है…
Rajeev मेरी ज़िंदगी में तब आया जब मुझे सबसे ज़्यादा किसी की ज़रूरत थी — समझने वाले की, सहारा देने वाले की। वो मुझसे दस साल बड़ा था, mature था, और हर बात में मेरा ख्याल रखता था। उसकी बातों में एक ठहराव था… और उस ठहराव में मैं खुद को खोती जा रही थी।
हमने एक-दूसरे से वादा किया था — “Sex नहीं करेंगे, सिर्फ महसूस करेंगे…” लेकिन जिस्म की भूख और मोहब्बत के वादे अक्सर बिस्तर की नर्मी पर पिघल जाते हैं…
होटल के कमरे में जब मैं उसकी बाँहों में समाई, मेरा पूरा बदन काँप रहा था। उसने मेरी कमर को कस कर थामा, मेरी आँखों में देखा और पहली बार होंठों को छुआ। उसकी गर्म साँसों ने मेरी गर्दन को सहलाया… और मैं बिस्तर पर उल्टी लेट गई, पूरी तरह उसकी बाहों में। वो पीछे से धीरे-धीरे मेरी सलवार उतार रहा था… और मेरा दिल किसी तूफान की तरह धड़क रहा था।
तभी उसने अपनी पैंट नीचे की… और मैंने पहली बार किसी मर्द का लंड देखा — मोटा, लंबा, और मेरी सोच से कहीं बड़ा। मेरी साँस रुक गई… आँखें कुछ पल वहीँ अटक गईं… हल्की घबराहट थी… लेकिन उससे भी बड़ी थी — उससे मिलने की तड़प।
“चूसेगी मेरी जान?” Rajeev ने मुस्कराते हुए पूछा। मैंने कुछ नहीं कहा… बस काँपते हाथों से उसे पकड़ लिया। उसका लंड गर्म था… और जैसे मेरी छुअन से ही धड़कने लगा हो। मैंने अपनी ज़ुबान से उसे हल्के से छुआ… Rajeev की साँसें तेज़ हो गईं। धीरे-धीरे मैंने उसे अपने होठों के बीच लिया… उसकी गर्मी मेरे मुँह में फैलने लगी…
अब लाज नहीं थी… सिर्फ उसका स्वाद था… और Rajeev की कराह। “आह… Priya… तेरी ज़ुबान जैसे मेरी रूह तक जा रही है…” मैंने हिम्मत करके उसका पूरा लंड मुँह में भरने की कोशिश की… गले तक ले गई… हल्की सिसकी के साथ मेरी आँखें भीग गईं… लेकिन मैं नहीं रुकी।
अब मुझे कुछ और दिख ही नहीं रहा था… बस उसका मोटा, गर्म लंड… जो मेरे मुँह में पूरी तरह समा चुका था। मैंने उसे चूसना शुरू किया… पहले धीरे… फिर तेज़… मेरी ज़ुबान उसकी नोक पर घूम रही थी… होंठ उसकी जड़ पर… हर बार जब मुँह से बाहर निकालती, तो अगली बार और गहराई तक ले जाती… उसका स्वाद अब मेरी ज़ुबान पर बस चुका था — मीठा, मर्दाना, और addictive। अब मुझे सिर्फ एक चीज़ चाहिए थी — उसका पूरा लंड… बार-बार… लगातार… बेतहाशा।
चूसते हुए मेरी आँखें उसकी आँखों से मिलीं… और उसने मेरे गाल सहलाए… फिर धीरे से मेरे कान में फुसफुसाया — “पीछे से करेंगे न baby… seal नहीं तोड़ेंगे…”
मैंने हौले से कहा, “हाँ… बस पीछे से…” Rajeev ने मेरी गांड पर एक गर्म, गीला किस किया… और बोला, “जैसे तू चाहे जान, बस तुझे महसूस करना चाहता हूँ…”
उसने अपने लंड की नोक मेरी गांड की दरार पर रखी… धक्का देने की कोशिश की… लेकिन मेरी tight गांड में उसका लंड बार-बार फिसल रहा था… और तभी — एक झटका… और उसका लंड सीधा मेरी चूत में घुस गया…
“Rajeev!! आह्ह…” मेरी चीख निकल गई… “तूने तो कहा था… seal नहीं तोड़ेगा…” लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी — उसका पूरा लंड मेरी चूत में था… और मेरी रूह तक भर चुका था।
लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी। उसका लंड मेरी चूत के अंदर पूरा धँस चुका था। मैं काँप रही थी… चूत से खून बहने लगा था… लेकिन Rajeev वहीं रुक गया। उसकी साँसें तेज़ थीं… उसकी आँखों में चाह थी… “Priya… अब रोक मत… तू मेरी है… पूरी तरह…”
मैंने बस धीरे से उसकी ओर देखा… मेरी आँखों में आँसू थे… लेकिन दिल में एक अजीब सुकून भी था। मैंने धीरे से कहा, “कर ले… तेरी ही तो हूँ…”
Rajeev ने फिर से मेरी कमर पकड़ी और चोदना शुरू किया… धीरे-धीरे… फिर तेज़… फिर रुक कर और गहराई तक… मेरी चोटी सी चूत अब फट रही थी… जल रही थी… लेकिन अब विरोध नहीं था…
मेरी चूत अब जल रही थी… एक अजीब सी गुदगुदाहट थी जो अंदर तक जा रही थी… Rajeev का लंड जैसे मेरी रग-रग को छू रहा था… और मेरी चूत अब उसे रोक नहीं रही थी — बल्कि हर बार और अंदर खींच रही थी…
उसका लंड जब थोड़ा बाहर आता, मेरी चूत कस कर पकड़ लेती — जैसे कह रही हो, “कहाँ जा रहा है? वापस आ…” और जब वो अंदर धँसता, तो मेरी कमर खुद उसके लय में हिलती… अब Rajeev मुझे चोद नहीं रहा था — मेरी चूत उसे चोदवा रही थी।
मैं सिसक रही थी… लेकिन उस सिसकी में अब दर्द नहीं था… वो मज़ा था… गहराई से उठता हुआ गीलापन… ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूत पहली बार अपने लिए बनी हो — बस Rajeev के लिए।
मेरी टाँगें काँप रही थीं… लेकिन मैं चाहती थी कि ये कभी ना रुके। मेरी चूत अब राज़ी थी… पूरी तरह राज़ी — और पूरी तरह उसकी।
और तभी — उसने मुझे कस कर पकड़ लिया… एक ज़ोरदार झटका मारा… और उसका गर्म, गाढ़ा वीर्य मेरी चूत में फूट पड़ा… इतना गर्म कि मेरी पूरी देह सिहर गई… “Priya… मैं तेरे अंदर ही निकल गया… रोक नहीं पाया baby…”
मैं हाँफ रही थी… मेरी टाँगें काँप रही थीं… मेरी चूत अब भीगकर थक चुकी थी… उसमें अब भी Rajeev का गर्म वीर्य टपक रहा था… मैंने काँपती आवाज़ में कहा, “अब मत कर Rajeev… मेरी चूत अब भी तेरे वीर्य से भरी है… और अब नहीं सह सकती…”
लेकिन Rajeev ने बिना कुछ बोले मेरे होंठों को चूमा — फिर मुझे अपनी गोद में उठा लिया, जैसे मैं उसकी अधूरी भूख की आखिरी प्लेट हूँ। अब वो मुझे हवा में उठाकर चोद रहा था — ज़ोर से… रुक-रुककर… गहराई तक। मेरी टाँगें उसके कमर के चारों ओर लिपटी थीं… मेरी पीठ हवा में झूल रही थी… और मेरी चूत फिर से Rajeev के लंड को पूरा अंदर ले चुकी थी।
उसके हर thrust के साथ मैं हिल रही थी — छाती से लेकर चूत तक। उसकी आँखें लाल हो चुकी थीं, होंठ जकड़े हुए थे — जैसे अब वो मुझमें पूरा समा जाना चाहता हो। वो मुझे ऊपर उठाकर नीचे गिरा रहा था… जैसे कोई जिद्दी शिकारी अपनी आखिरी पकड़ को छोड़ना नहीं चाहता।
“Rajeev… आह… तू मुझे तोड़ देगा… प्लीज़…” मेरी आवाज़ थरथरा रही थी… लेकिन मेरी चूत अब भी जवाब दे रही थी — हर अंदर जाने वाले झटके पर और गहराई तक भीगते हुए।
और फिर… मेरी देह में एक ज़ोर की लहर उठी — मेरी चूत ने Rajeev के लंड को कसकर पकड़ लिया… मेरे नाखून उसकी पीठ में धँस गए… मैंने उसकी कंधे को दाँतों से काट लिया… मेरे बदन ने कांपते हुए orgasm में खुद को खो दिया।
“Rajeev… मैं झड़ रही हूँ… ओह… ओह… रुक मत… पूरा भर दे…” मेरी चूत अब uncontrollably फड़क रही थी… बार-बार भीग रही थी… और हर लहर मुझे और पिघलाती जा रही थी… मेरी आँखें बंद हो चुकी थीं… मुँह से बस सिसकियाँ निकल रही थीं।
Rajeev ने और भी ज़ोर से कस कर मुझे खींचा… “Priya… तेरी चूत आज पूरी मेरी है… और मैं आज खुद को तेरे अंदर खत्म कर दूँगा…” और वो झड़ गया… एक ज़ोरदार कराह के साथ… उसका गर्म वीर्य मेरी चूत में एक बार फिर भर गया… और मेरी टाँगें थरथरा गईं।
अब मेरी चूत कोई मासूम सी जगह नहीं रही… अब वो पूरी तरह उसका भरा हुआ भोसड़ा बन चुकी थी — फूल चुकी थी, पसीने में भीगी हुई… और उसकी मर्दानगी से पूरी तरह संतुष्ट।
Rajeev की साँसें अब धीमी थीं… मेरी आवाज़ें अब थमी हुई… और जब आखिरकार वो थमा… मैंने खुद को उसकी छाती पर गिरते हुए पाया — थकी, काँपती, भीगी… लेकिन पूरी तरह तृप्त।
अब मैं उसकी बाँहों में नंगी पड़ी थी… मेरी आँखें बंद थीं… उसकी उंगलियाँ मेरी पीठ सहला रही थीं… और वो मेरे माथे को चूमते हुए बस इतना कह रहा था — “Priya… तू अब पूरी मेरी है… आज, कल और हर बार।”
घर पहुँचकर मैंने खुद को शीशे में देखा — गालों पर गुलाबी रंग था, होंठ सूजे हुए थे, आँखें थकी लेकिन चमक रही थीं। मेरे चूचियों में एक अजीब सा उभार था — जैसे Rajeev की पकड़ अब भी उनमें छपी हो। मैंने अपनी कुर्ती उतारी… और जैसे ही पैंटी नीचे की… मैं कुछ देर उसे देखती रही।
उसमें सिर्फ खून नहीं था… उसमें उसकी पूरी रात की छाप थी — गाढ़ा वीर्य, मेरी चूत की लाली, अंदर की सूजन… मेरी चूत फूली हुई थी — जैसे वो अब भी Rajeev को थामे बैठी हो… हर झटका, हर सिसकी अब मेरी त्वचा में दर्ज थी।
मैंने अपनी उंगलियों से उसे छुआ… थोड़ी सी चिपचिपाहट अब भी थी… थोड़ा दर्द… और बहुत सारा सुकून। Rajeev के होठों के निशान अब भी मेरी गर्दन पर थे — और मेरे शरीर की हर रेखा में बस वही था।
मैंने कपड़े जल्दी पहन लिए… और खुद को देखकर मुस्कुराई। क्योंकि अब मैं वही Priya नहीं थी… अब मैं वो लड़की थी जिसने पहली बार किसी को अपने अंदर महसूस किया था… पूरी तरह से।
उस रात मैंने सिर्फ sex नहीं किया था… मैंने खुद को सौंप दिया था — पूरी तरह, बिना शर्त।
लेकिन मेरी कहानी यहीं नहीं रुकी… देखो अगली बार मैंने क्या किया — Ex के पास गई, और उसने चोद-चोद के मेरी चूत सुजा दी
दोस्तों, कैसी लगी मेरी पहली चुदाई की ये सच्ची कहानी? आपका पहला अनुभव कैसा था? क्या आपने भी पहली बार ऐसा ही डर, दर्द और मज़ा महसूस किया था? नीचे कमेंट में ज़रूर बताओ — लड़कों और लड़कियों दोनो से जानना चाहूँगी कि पहली बार sex को लेकर उनके मन में क्या डर था, और जब हुआ… तो कैसा लगा?