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Real Indian Lund Chut ki Kahaniya

Cousin बहन की चुदाई – रिश्ता नहीं, चूत का लंड से प्यार Part - 4

✍️ लेखक: sunny.saxena | 👁️‍🗨️ Views: 57 | 🗂️ श्रेणियाँ: Fantasy , Real Sex , Taboo , step relations , desi romance , submissive girl

दोस्तों, मैं सनी सक्सेना वापस लौट आया हूँ उसी अधूरी कहानी का अगला हिस्सा लेकर। पिछली रात की शुरुआत 69 से हुई थी — और वहीं से उसकी गांड मारनी शुरू की। फिर एक coffee break लिया — उस दौरान हमने kiss किया, गले लगे, soft romance हुआ… और फिर शुरू हुआ असली खेल। उसकी चूत फिर से चाटी, चूसी — deepthroat कराया, लंड पूरा घुसाया — और फिर से चुदाई चालू हुई। एक बार फिर चूत मारी, और आख़िरी बार उसकी गांड को फाड़कर, पूरा लावा अंदर छोड़ा। हम दोनों निढाल होकर वहीं सो गए थे। अब कहानी वहीं से आगे बढ़ रही है — …


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Cousin Behen ki Chudai - Rista nahi Chut ka Lund se Pyar Part 4)

सुबह के 10 बज चुके थे। कमरे में अब भी रात की खुशबू तैर रही थी — पसीने, sex, और चूसी हुई चूत-गांड की हल्की सी गंध अब भी हवा में थी।

मैं और रिया अब भी नंगे, एक-दूसरे की बाँहों में लिपटे हुए पड़े थे। मैंने आँखें खोलीं तो देखा — रिया की आँखें भी आधी खुली थीं, लेकिन बदन जैसे उठने से मना कर रहा हो।

उसने कराहते हुए कहा — “भाई… मेरी चूत जल रही है… और गांड तो जैसे सूजकर बम बन गई है…”

मैंने नीचे देखा — उसकी चूत और गांड के आस-पास अब भी सूखा हुआ सफेद लावा चिपका हुआ था। पूरी रात मैंने जितना cum छोड़ा था, सब अब crust बन चुका था।

रिया उठने की कोशिश कर रही थी — लेकिन उसके हाथ कांप रहे थे। “नहीं उठ रहा मुझसे… पूरी रात तूने मुझे निचोड़ डाला…”

मैं भी हल्का चक्कर सा महसूस कर रहा था — “शायद मैंने भी 4-5 बार cum किया था… अब लंड भी थका हुआ है।”

रिया ने धीरे से कहा — “फ्रिज में juice पड़ा है… प्लीज़ वो दे दे…”

मैंने झटपट उठकर दोनों के लिए juice निकाला — गिलास रिया को पकड़ा कर बोला, “पी ले चुदक्कड़ बहन… वरना तेरी चूत और सूज जाएगी।” वो हँसी, और धीरे-धीरे गिलास होठों तक ले गई — “आह्ह… यही तो चाहिए था… कुछ ठंडा अंदर…”

juice पीने के बाद रिया फिर से बिस्तर पर लेट गई — उसकी आँखों में अब भी थकावट थी, और चूत में हल्की जलन।

मैंने उसके पैर फैलाए — धीरे से नीचे झुका और उसकी चूत को हल्के-हल्के चाटने लगा — “चाट-चाट” की आवाजें निकलने लगीं, और वो सिसकते हुए बोली — “आह्ह… हाँ भैया… ऐसे ही… सूजन में थोड़ा आराम मिल रहा है…”

मैंने उसकी गांड के बीच भी जीभ फिराई — थोड़ी देर तक लगातार हल्की मालिश और चाटने के बाद, वो लंबी साँस लेकर बोली — “अब washroom ले चल न… नीचे बहुत गरम हो रहा है…”

मैंने उसे गोदी में उठाया — जैसे कोई थकी हुई बच्ची हो — और washroom में ले गया।

वो शीशे के सामने खड़ी हुई — नीचे झुकी, और अपने दोनों हाथों से अपनी चूत और गांड को फैला कर देखने लगी। चूत फूली हुई थी, हल्की सी लाल — गांड पर भी उंगलियों के निशान थे। वो मुस्कराई — “लगता है तूने सच में पूरा बदन घिस डाला…”

मैं नीचे बैठा — और फिर से उसकी चूत पर जीभ फेरने लगा — इस बार हल्की गर्माहट के साथ, अंदर तक — “अब भी महक रही है तेरी चूत… और अब ये taste आराम बन गया है…”

रिया ने सिसकते हुए कहा — “अब कर न नीचे हल्की मसाज… गांड तक… आराम मिलेगा…”

मैंने उसके चूत और गांड के चारों ओर हल्के हाथों से मसाज किया — और तभी रिया ने खुद को थोड़ा और नीचे झुकाया — “रुक… आ रहा है…”

उसने टांगें थोड़ी और फैलाईं — और गर्म, गाढ़ा पेशाब सीधा मेरे लंड और पेट पर गिरा — मैंने मुस्कराते हुए उसकी चूत को दोनों हाथों से थामा और उस गर्म पेशाब से गांड और चूत के आस-पास मालिश करने लगा।

रिया जैसे और निखर गई — “उफ्फ… कितना रिलैक्स कर दिया तूने… अब सच में हल्का लग रहा है…”

मैंने दोनों को हल्के पानी से धोया — और फिर साथ में एक छोटा सा शावर लिया — एक-दूसरे की पीठ रगड़ते हुए, गालों पर हल्के किस करते हुए…

शावर के बाद रिया नंगे पैर बाहर निकली — चेहरे पर अब थकावट नहीं थी, बस एक चमक थी। “तू न पूरा डॉक्टर है मेरी चूत के लिए…”

मैं हँसा — और किचन में घुस गया। उसके लिए नाश्ता बनाया — और जब वो बाल तौलिए में लपेटे बाहर आई, तो पूरी तरोताज़ा दिख रही थी — जैसे उसकी चूत फिर से chudne के लिए तैयार हो चुकी हो।

मैंने उसके लिए प्लेट में नाश्ता परोसा, और बगल में बैठ गया। वो धीरे-धीरे खा रही थी — थकी हुई थी, लेकिन हर बाइट के साथ उसके चेहरे पर सुकून लौटता जा रहा था।

खाना खत्म करके उसने प्लेट साइड में रख दी — मैंने एक पेनकिलर उसके हाथ में दी, और पानी का गिलास थमाया। “ले बहन… अब इस थकी हुई चूत और बदन को थोड़ा आराम मिलेगा।”

उसने बिना कुछ कहे दवाई ली, और धीरे से मेरे सीने पर सिर रख दिया। मैंने उसके बाल सहलाए, और माथे को हल्के से चूमा — अब सिर्फ उसकी चूत को नहीं… पूरे बदन को, और दिल को भी थोड़ा आराम चाहिए था।

वो मेरी बाँहों में धीरे-धीरे सो गई — चेहरे पर वही सुकून, जो सिर्फ चोदने के बाद आता है… लेकिन अब उसमें थोड़ा सा प्यार भी घुला हुआ था।

लेकिन कहानी अब भी खत्म नहीं हुई…
क्योंकि जैसे ही उसकी चूत फिर से नॉर्मल होगी — मेरा लंड फिर से तैयार होगा… और बहन की आग दोबारा भड़केगी…

रिया अब भी मेरी बाँहों में सिमटी थी — चेहरे पर थोड़ी थकान, लेकिन होठों पर हल्की सी मुस्कान।

मैंने उसके माथे पर एक हल्का सा किस किया — वो कुछ नहीं बोली, बस और करीब खिसककर मेरी छाती से चिपक गई।

उसकी नंगी छातियाँ मेरे सीने से लगी थीं — गर्म, मुलायम… और हर सांस के साथ हल्के-हल्के हिल रही थीं।

मैंने एक हाथ से उसकी कमर सहलाई, और दूसरे हाथ से उसके चूचियों को हल्के से छूने लगा। “उफ्फ…” — उसकी बंद आँखों के नीचे से हल्की सिसकी निकली।

मैं नीचे झुका — और एक चूची अपने मुँह में ले ली। “चूsss…” — हल्की सी चुसकी मारी… उसका निप्पल अब फिर से सख़्त होने लगा था।

रिया ने आँखें खोली — नीम-पलकी मुस्कान के साथ बोली — “फिर से चालू हो गया लंडू मेरा…”

मैंने उसकी चूची से मुँह हटाकर बोला — “तेरी चूची ने खुद मुँह में आने की जिद की बहन… अब क्या करूँ…”

उसने मेरी गर्दन में हाथ डाला — और होंठ मेरे होठों पर रख दिए। अब दोनों की साँसें फिर से गरम होने लगी थीं — चुदाई वापस आने वाली थी… चूचियों से शुरू होकर अब चूत तक पहुँचेगी।

रिया ने मेरे होठों को पकड़कर और गहरा चूमा — उसकी ज़ुबान मेरी ज़ुबान से लिपटी, और अब उसकी टाँगें खुद-ब-खुद मेरी कमर के चारों ओर लिपटने लगीं।

मैंने एक हाथ से चूची दबाई, दूसरे से नीचे उसकी चूत तक गया — अंदर उंगलियाँ घुसते ही हल्की गर्मी और गीलापन महसूस हुआ। “ओह्ह… फिर से गीली हो गई तू…”

वो होंठ चाटते हुए बोली — “तेरे लंड की याद में चूत खुद भीग गई भाई… अब मत रोक… फिर से भर दे…”

मैंने उसके नीचे आकर खुद को सेट किया — उसकी चूत के मुहाने पर लंड सटाया और धीरे से पूछा — “रिया… चाहिए?”

उसने थकी आँखों से मेरी तरफ देखा, हल्के से मुस्कराई — “हाँ भैया… चाहिए… लेकिन आज धीरे… बस तेरा प्यार चाहिए…”

उसके इन शब्दों ने मुझे रोक दिया — अब ये सिर्फ चुदाई नहीं थी, ये उस बहन की चाहत थी — जो सिर्फ मुझसे भरी जाना चाहती थी, नर्मी से… धीरे… पूरी तरह।

मैंने उसके होंठों को चूमा, उसके गाल पर प्यार से हाथ फेरा, और फिर धीरे से लंड चूत में उतार दिया — बिना ज़ोर, बिना दर्द… बस धीरे-धीरे भरते हुए।

रिया ने आँखें बंद कर लीं — उसके होंठ हिले — “आह्ह… हाँ… यही चाहिए था… सिर्फ तेरा प्यार…”

मैंने रफ्तार नहीं बढ़ाई — बस उसकी कमर को थामे, धीरे-धीरे उसके अंदर उतरता रहा। हर मूवमेंट में कोई जल्दबाज़ी नहीं थी — बस एक connection, एक सुकून था।

उसकी साँसें भी अब गहरी हो चुकी थीं — वो मेरे सीने से चिपकी हुई, बस हौले-हौले मेरी कमर के साथ हिलती रही।

मैंने कुछ ही देर में उसकी चूत में प्यार से सारा लावा छोड़ दिया — और बिना बाहर निकाले, उसके सीने से लग गया।

रिया ने धीरे से कहा — “अब तू चला जाएगा… पर तेरी चुदाई मेरी चूत में हफ़्तों तक रहेगी…”

मैंने उसका माथा चूमा — “अभी तो यहीं हूँ बहन… शाम तक तो तुझे फिर से भरना है…”

वो हल्का मुस्कराई — आँखें बंद कीं, और मेरी बाँहों में मुँह छिपा लिया।

हम दोनों चुपचाप, नंगे बदन — एक-दूसरे से चिपके हुए लेटे रहे। कमरा शांत था… लेकिन उस चुप्पी में भी एक हल्की सी चूत की गर्मी अब भी तैर रही थी।

रिया की साँसें अब धीमी हो चुकी थीं — वो धीरे-धीरे नींद में जा रही थी। उसका बदन थका हुआ था, लेकिन चेहरा तृप्त था… जैसे कोई लड़की चुदवाकर चैन की नींद ले रही हो।

मैंने उसके बालों को सहलाया — “सो जा रिया… तेरी चूत को फिर से जगाने के लिए मेरा लंड शाम तक आराम कर ले…”

और वो, बिना कुछ बोले — मेरी सीने पर सर रखकर सो गई।

करीब तीन घंटे की गहरी नींद के बाद रिया की आँखें खुलीं। वो बिस्तर पर लेटी रही, और मेरी ओर देखती रही — मैं वहीं बैठा उसे निहार रहा था।

वो मुस्कराई — “इतनी देर तक सो गई… चूत की सूजन तो वैसे भी थी, अब थोड़ी ठीक लग रही है…”

मैंने हल्के से उसका हाथ पकड़ा, और हँसते हुए बोला — “इतनी चुदाई के बाद नींद तो लाजमी थी बहन… आराम मिल गया न, बस अब फिर से फुल चार्ज हो जाना।”

वो उठी, शॉर्ट्स और एक ढीली टी-शर्ट पहन ली — और बोली, “चलो, बाहर चलते हैं… भूख भी लगी है, और थोड़ा सामान भी लेना है।”

हम दोनों एक साथ बाहर गए — एक छोटा सा कैफे चुना, जहाँ रिया ने अपनी पसंद का खाना खाया। खाना खाते-खाते रिया ने मेरी तरफ देखा और बोली: “भाई… एक बात है, मुझे unwanted 72 लेनी पड़ेगी। कल रात 3-4 बार चुदाई हुई और तेरे पास condom भी नहीं था…”

मैं थोड़ी देर चुप रहा… फिर बोला — “तू mature है रिया… 25 की हो चुकी है… लेकिन फिर भी ये pills बहुत heavy होती हैं।”

वो सिर हिलाकर बोली — “पता है… इसलिए कह रही हूँ, next time से हमेशा protection में करेंगे।”

मैंने कहा — “तू सही कह रही है… कल जो हुआ, वो passion में था, लेकिन अब हमें हर बार से पहले सोच लेना है।”

फिर हम medical store गए — रिया के लिए unwanted 72, और मैंने chocolate flavour condoms लिए। रिया ने हँसते हुए कहा — “अब ये condoms मेरी दराज़ में रहेंगे… जब भी तू आए, ready रहेंगे।”

थोड़ी देर मस्ती करते हुए हम groceries और रिया के पसंद की चीज़ें ले आए — coffee, dark chocolate, और उसका favourite body oil।


शाम होने लगी थी — रिया ने बाल बाँधे, थोड़ा makeup किया, और बोली — “भाईया… आज रात और रुक जाओ न… मुझे अच्छा नहीं लगेगा अकेले…”

मैंने उसे गले लगाया और कहा — “ठीक है मेरी प्यारी चुदक्कड़ बहन… जब तक तू चाहे।”

हम दोनों मूवी देखने निकले — कोई ज़्यादा रोमांटिक नहीं, बस कुछ हल्का-फुल्का — क्योंकि कमरे में रहकर बस चुदाई ही करते रहे थे… अब थोड़ा ब्रेक भी ज़रूरी था।

डिनर के बाद जैसे ही हम घर लौटे — रिया ने दरवाज़ा बंद किया, और तुरंत मुझे दीवार से टिकाकर किस करने लगी। उसकी साँसें गरम थीं… होंठ बेबाक — “भाई… आज protection भी है… और मेरी चूत फिर से लंड के लिए तैयार है…”

उसने मुझे बेडरूम में खींचा — लाइट्स धीमी कीं, और अलमारी से chocolate condom निकालकर मेरे लंड पर हल्की फूँक मारते हुए बोली — “आज इस लंड को मुंह से सजाना है मुझे…”

मैंने उसकी कमर पकड़ी — उसके कान में कहा — “तेरी चुदक्कड़ चूत फिर से तंग कर रही है न बहन…”

रिया ने मेरी पैंट उतारी — लंड पूरे टन में था — सीधा, मोटा, और तैयार। उसने condom खोलकर होंठों से पकड़ लिया — और धीरे-धीरे मुंह से ही लंड पर चढ़ाने लगी — हर इंच के साथ उसकी ज़ुबान लंड के साथ रगड़ खा रही थी…

जैसे ही condom पूरी तरह चढ़ा — रिया ने लंड चूसना शुरू किया — धीरे, गीला, चपचपाता हुआ — उसके होंठ tight पकड़ में थे और ज़ुबान गोल घुम रही थी… “मेरा लंडू भाई… तू तो हर बार और मोटा हो जाता है…”

मैंने उसका चेहरा पकड़कर और अंदर धँसाया — “चूस बहन… तुझे ही तो इसका स्वाद सबसे अच्छा आता है…”

फिर मैंने उसे पलटकर बेड पर फेंका — उसकी टी-शर्ट ऊपर खींची, और चूचियों को होंठों में भर लिया — “चूsss… तेरे निप्पल फिर से सख्त हैं… इनके रस में ही नशा है बहन…”

वो सिसकते हुए बोली — “हाँ… मसल न भैया… मेरी चूचियाँ तुझसे ही जिंदा रहती हैं…”

अब मैं नीचे गया — उसकी panties उतारी — और सामने थी — एकदम भीगी, तड़पती चूत… उस पर हल्की सी फूँक मारी — रिया काँपी — और फिर जीभ से पूरा चाट दिया…

“छप… छप…” — मेरी ज़ुबान उसकी दरार में घूम रही थी — “भाई… तू expert बन गया है चूत चाटने में…”

मैंने उसे पलटा — अब वो doggy में थी — गांड ऊपर, चूत नीचे टपक रही थी। मैंने condom check किया — अब भी tight बैठा था — और बिना किसी देरी के — पूरा लंड उसकी चूत में घुसा दिया — “धप्प!”

रिया चीखी — “हाँ भैया! यही चाहिए था… अब पूरे ठोकते जा…”

मैंने उसकी कमर थामी — “धप्प! धप्प! धप्प!” — चूत से आवाज़ें आने लगीं — पूरा बिस्तर हिल रहा था। वो बड़बड़ा रही थी — “फाड़ न भैया… चूत फिर से तेरे लायक बन गई है…”

मैंने उसे खींचकर missionary में किया — टाँगें ऊपर — और पूरा लंड जड़ तक अंदर — “तेरे बिना मेरी चूत अधूरी है भैया…”

फिर उसने खुद को ऊपर किया — अब वो मेरे ऊपर बैठ गई — Reverse Cowgirl में — उसकी गांड मेरी ओर थी — और वो खुद लंड पर झूल रही थी…

“छप… छप…” — उसकी चूत ने लपेट लिया था condom को — और उसकी चूचियाँ पीछे से झूल रही थीं। मैंने दोनों गाल पकड़कर और गहराई में धँसाया — “अबे चोदुंगी मैं तुझे आज…” — वो चिल्लाई — “आज की चुदाई मेरी तरफ से होगी भैया…”

फिर से उसे पलटा — अब spooning में — उसके कान में बोला — “चुपचाप रह… तेरी चूत अब तक की सबसे tight लग रही है…”

रिया सिसकी — “क्योंकि आज की रात तूने फिर से मेरी रूह को चोद दिया भैया…”

करीब एक घंटे तक हम हर position में चुदते रहे — हर बार condom tight बैठा था — और रिया हर बार ज्यादा loud, ज्यादा moist, और ज्यादा needy होती जा रही थी।

आख़िरी में — मैंने उसे सीधा किया — उसके ऊपर झुका — और धीरे-धीरे एकदम गहराई में — “धप्प!” — पूरा लंड उसके अंदर था — और वहीं — condom के अंदर गरम लावा फूट पड़ा…

रिया थरथरा गई — उसकी आँखें बंद थीं — मुँह खुला, आवाज़ रुकी हुई — और शरीर — पूरी तरह शांत — जैसे हर चुदाई का चरम पा लिया हो।

हम दोनों नंगे, भीगे, और तृप्त — बिस्तर पर एक-दूसरे में सिमटे हुए सो गए।

हमने साथ खूब मस्ती की… हर वीकेंड मिलते रहे — चूमा, चोदा, और खूब हँसे।

अब ना किसी और की ज़रूरत थी, ना कोई कमी महसूस होती थी — हम एक-दूसरे के लिए ही काफी थे।


फिलहाल, ये कहानी यहीं तक थी…
आगे क्या हुआ? हमने इस रिश्ते को कैसे समझा, कैसे संभाला, क्या हमने खुद को रोका या और आगे बढ़े — ये सब कभी किसी और कहानी में बताऊँगा।

लेकिन आप सबने अगर सभी पार्ट्स पढ़े हैं, तो आप समझ सकते हैं कि ये सब कितना आसान नहीं होता। खुद को वासना से रोक पाना… या फिर उस वासना में डूबे हुए किसी इंसान को समझ पाना — ये आसान नहीं होता।

कई बार ऐसा होता है कि कोई अजनबी ही अपना लगता है… कभी कोई अपना भी वासना में डूबा मिलता है। ऐसे में, अगर कोई इंसान पास आ जाए — तो उसे रोकना, खुद को रोकना… बहुत मुश्किल हो जाता है।

क्या आपके साथ कभी ऐसा हुआ है?
कभी मन किया हो… लेकिन आपने खुद को रोक लिया हो?
या फिर किसी अपने ने वो लाइन पार करने की कोशिश की हो?

नीचे कमेंट में ज़रूर बताएं — क्या ये रिश्ता सिर्फ वासना था, या कुछ और भी?

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