⚙️

🔞 18+ Content Warning

यह साइट केवल वयस्कों के लिए है। इसमें यौन और संवेदनशील सामग्री शामिल है। कृपया तभी प्रवेश करें जब आपकी उम्र 18 वर्ष या उससे अधिक हो।

ChutRas Logo

CHUTRAS

Real Indian Lund Chut ki Kahaniya

मेरी चुदाई से प्यार तक का सफर – भाग 3: Hostel Room Rough Sex

✍️ लेखक: sona_singh | 👁️‍🗨️ Views: 60 | 🗂️ श्रेणियाँ: Real Sex , desi romance , rough sex

दोपहर के तीन बजे थे। रूम में कोई नहीं था। रूममेट कहीं बाहर गई थी, और मैंने यही वक्त चुना था — चुदाई के लिए।

मैंने अर्जुन को मैसेज किया — “आ जा… अकेली हूँ। आज पलटा कर चोदना है।” उसने सिर्फ एक thumbs up भेजा। दो मिनट में दरवाज़ा खुला, और वो अंदर आ गया। उसकी नज़र मेरी टाइट टीशर्ट और बिना ब्रा की उभरी हुई चूचियों पर पड़ी। मेरी पैंटी का कपड़ा हल्का था, और मेरी टाँगों के बीच हल्की सी नमी साफ़ दिख रही थी।

“कितनी गीली है तू…” उसने कहा, और बिना वक्त गंवाए मेरी कमर पकड़ के पलटा दिया। मैंने बिस्तर के ऊपर झुक कर अपने दोनों हाथ आगे रख दिए — मेरी गांड हवा में थी, और चूत पूरी तरह खुल चुकी थी। “अबकी बार सिर्फ चोदना… धीरे मत करना,” मैंने पीछे मुड़कर कहा।

उसने झुक कर मेरी चूत को सूंघा — "तेरी chut se to ab ras tapak raha hai..." फिर अपनी जीभ से मेरी chut की lakeer को चाटा… ऊपर से नीचे तक… और फिर एक ही झटके में अपने thulthule lund को meri chut ke muh par टिकाया।

धक्… एक गहरा झटका… और उसका लंड मेरी चूत में उतर गया। ना कोई भूमिका, ना कोई प्यार-दुलार — सीधा घुसा दिया उसने, जैसे चूत उसी की थी। मेरे मुँह से हल्की सी "हां…" निकली, लेकिन मैं तैयार थी। उसने मेरी कमर को दोनों हाथों से कसकर पकड़ लिया… और लगातार झटके मारने लगा।

“तेरी चूत तो कसावट में भी बाप है… जितनी बार चोदता हूँ, उतनी ही टाइट हो जाती है…” “जोर से… और गहराई तक चोद…” मैंने खुद मुँह से कहा। अब सिर्फ ठोकरे थीं, चूत से निकलती चिकचिक आवाज़ें थीं, और मेरी गांड से टकराते उसके मांसल जांघों की थप-थप।

उसने मुझे और झुका दिया… मेरी कमर झुकी हुई थी, लेकिन मेरी चूत उसके लंड को और अंदर बुला रही थी। उसने एक हाथ से मेरी गर्दन को पकड़ा, और दूसरे हाथ से नीचे से मेरी चूची को उठाकर मसलने लगा।

अब मैं सिर्फ हिल रही थी — उसकी हर थाप पर… हर बार उसकी लंड की घुसपैठ से मेरी चूत और भी ज़्यादा भीगती जा रही थी। “चोद मुझे… पूरी तरह से… पूरा लंड अंदर तक…” मैंने खुद अपनी गांड पीछे उसकी ओर और ज़ोर से धकेल दी।

उसने मुझे एक बार और झटका देकर खींचा… और पूरा लंड एक ही बार में मेरी चूत में जड़ दिया। एक गहरी ठोक… और उसके साथ तेज़ सी "चटाक!" — मेरी गांड से टकरा कर उसके झटके की आवाज़ पूरे कमरे में गूंज रही थी।

लगातार पाँच मिनट तक बिना रुके वो मुझे चोदता रहा… फिर उसने लंड अंदर अटका कर मुझे अपनी बाहों में थाम लिया। मेरा बदन कांप रहा था — लेकिन मेरी चूत अब भी पूरी तरह से भरने को तैयार थी।

“और चाहिए?” उसने फुसफुसाते हुए मेरी चूत के ऊपर अपनी उँगलियाँ घुमाईं। मेरे बदन में फिर से गुदगुदी सी होने लगी थी… मैंने उसका लंड अपने हाथ में कस कर पकड़ा — “अब रुकना मत… एक बार और चोद… इस बार मुझे ज़मीन पर पटक के।”

उसने बिना कुछ कहे मेरी कलाई पकड़ी, और मुझे खींचते हुए ज़मीन पर बिछी चादर पर लिटा दिया। मेरी टाँगें ऊपर उठा कर बोला — “अबकी बार गहराई से जाऊँगा… सीधा अंदर तक।”

उसने दो उँगलियाँ मेरी चूत में डालीं, हल्का सा फैलाया, और लंड को धीरे से रगड़ते हुए फिर से एक ही झटके में घुसा दिया। “हाऽऽऽ…” मेरी चीख सी निकल गई — लेकिन इस बार दर्द नहीं था… बस तड़प थी — और पूरी खुली हुई चूत में उसका भरा-पूरा लंड था।

अब वो पूरी ताक़त से मुझे ठोक रहा था — हर ठोकरे पर मेरी कमर ज़मीन से उछल रही थी… उसके धक्कों की आवाज़, चूत से निकलती गीली “चप चप”, और मेरी रुकती-छूटती साँसे पूरे कमरे में गूंज रही थीं।

उसने मेरी दोनों टाँगें एक साथ पकड़ कर अपने कंधों तक उठा दीं — अब मेरी चूत पूरी तरह खिंच चुकी थी, और उसका लंड गर्भ तक पहुँचता लग रहा था। “बस कर…” मैंने कराहते हुए कहा — उसने मेरी आँखों में देखा और कहा — “अभी नहीं… जब तक तू खुद नहीं चिल्लाएगी…”

फिर उसने और तेज़ी से अंदर-बाहर करना शुरू किया — मेरी चूत से पानी बह रहा था, मेरी पीठ ज़मीन से चिपक चुकी थी, और मेरी उँगलियाँ चादर को पकड़ कर मोड़ चुकी थीं।

एक आखिरी झटका ऐसा था कि मैंने उसकी कमर को कस के जकड़ लिया… “उफ्फ्फ… हाँ… हाँ… चोद… रुक मत… मेरा सब कुछ ले ले…” और मेरी चूत एक बार फिर पूरी तरह खुलकर भर गई।

लेकिन वो रुका नहीं… मेरे अंदर से बहता रस अब चादर तक पहुँच गया था — और उसकी आँखों में जैसे पागलपन उतर आया था। उसने मेरे बाल पकड़ कर मुझे खींचा… और मुँह के पास आकर दाँत भींचते हुए बोला, “आज तुझे भुला नहीं पाऊँगा… तेरी चूत अब मेरी गुलाम है।”

उसने मुझे पलटा — पेट के बल लिटाया… मेरी टाँगें घुटनों से मोड़ीं और खुद घुटनों के बल मेरे पीछे बैठ गया। अब उसने मेरी गांड को दोनों हाथों से कस के खोला… और एक ही झटके में फिर से लंड घुसा दिया — **थाप! थाप! थाप!** — अब सिर्फ आवाज़ें थीं… और मेरी चीखें।

“अर्जुन… धीरे…” — मैंने कहने की कोशिश की, लेकिन मेरी आवाज़ काँप रही थी… और मेरी चूत उसके धक्कों से थरथरा रही थी। कमरे के बाहर से किसी के चलने की हल्की सी आवाज़ आई… लेकिन उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ा — वो मुझे पीछे से भरता रहा, जैसे कमरे में सिर्फ हम ही हों।

मेरे मुँह से अनजानी चीखें निकल रही थीं… इतनी तेज़ कि शायद हॉस्टल के उस विंग में किसी ने ज़रूर सुन लिया होगा। लेकिन अब मैं खुद को रोक नहीं पा रही थी — **हर ठोकरे के साथ मेरी चूत से चिपचिपा रस बह रहा था, और मेरी टाँगें बेकाबू होकर कांप रही थीं।**

उसने गर्दन झुका कर मेरी पीठ को चाटा… और धीरे से फुसफुसाया, “तू खुद चाहती थी न कि आज सिर्फ चुदना है… तो अब सह भी।”

उस लम्हे मेरी आँखों में नमी थी — कहीं पछतावा भी था… कि क्यों उसे बुला लिया। लेकिन मेरा बदन — मेरी चूत — अब रुकने को तैयार नहीं थी।

मैंने बिस्तर के कोने की चादर को मुँह में दबा लिया… और जैसे हर धक्के के साथ अपने पूरे वजूद को समर्पित कर दिया।

उसके लंड की गर्मी अब मेरे गर्भ तक महसूस हो रही थी — हर ठोकरे पर मेरी चूत और ज़्यादा भीग रही थी… और उसकी साँसे अब तेज़ और बिखरी हुई लग रही थीं।

“मैं… अब…” — अर्जुन ने थरथराते हुए कहा, और अगले ही झटके में उसका पूरा लंड मेरी चूत में गहराई तक उतर गया। उसकी पकड़ मेरी कमर पर और कस गई… और उसने सारा बोझ मेरे ऊपर गिरा दिया।

उसका गरम लावा मेरी चूत में भर चुका था… और वो खुद मेरे ऊपर लेटा, हाँफता हुआ… जैसे चुदाई नहीं, कोई जंग जीत कर आया हो।

कमरे में अब सिर्फ हमारी साँसे थीं… और बिस्तर पर बिछी चादर की सिलवटों में हमारी चुदाई की कहानी पसीने में डूबी हुई थी।

मैंने धीरे से उसकी आँखों में देखा… वो थका हुआ, लेकिन सुकून में था — जैसे उसके लंड ने जो माँगा, उसे आज पूरा मिल गया।

और तभी… दरवाज़े पर एक हल्की सी दस्तक हुई। "सुनो… मैं आ रही हूँ…" — मेरी रूममेट की आवाज़ थी।

हम दोनों के चेहरों का रंग उड़ गया। अर्जुन ने झट से चादर मेरे ऊपर डाल दी, और खुद भी जल्दी-जल्दी अपने कपड़े समेटने लगा।

मैं पसीने में भीगी हुई थी… बदन अब भी थरथरा रहा था… पर अब आँखों में डर और दिल में धड़कन बस यही कह रही थी — **"जो हुआ… उसकी आंच बचानी ज़रूरी है।"**

दरवाज़ा खुला। रूममेट ने हल्की नजर मारी… हवा में बसी गर्मी, बिखरा हुआ बिस्तर, और अर्जुन की उखड़ी साँसों के बीच उसने सब कुछ समझ लिया।

लेकिन उसने कुछ नहीं कहा — बस बिस्तर के दूसरे कोने की ओर बढ़ी, और अपनी किताब उठा के बाहर निकल गई।

हम दोनों एक-दूसरे को देख रहे थे — ना मुस्कान थी, ना बात… बस एक थकी हुई, भर चुकी चूत… और एक थका हुआ, सुकून में डूबा लंड।

कमरे में अब सिर्फ सन्नाटा था… लेकिन उस सन्नाटे में जो हुआ था, वो हमारे शरीर पर नहीं, हमारी यादों पर चिपक चुका था।

अगले पार्ट में: जब सुहानी ने कुर्सी पर बैठकर पाँव फैलाकर कहा — “इस बार बैठकर चोद… मैं देखना चाहती हूँ, मेरा लंड मेरी चूत में कैसा लगता है…”

🔖 Keywords: #suhani room chudai #rough sex story #hindi chudai #college girl bold #desi thokar #kamar pakad ke chudai #palat ke chut marna #rula ke choda #chod ke cheekhen nikali #chut ka pani nikal diya


🔁 संबंधित कहानियाँ

भाभी का भीगा बदन – और उनकी चुदाई की कहानी

Cousin बहन की चुदाई – रिश्ता नहीं, चूत का लंड से प्यार Part - 2

मेरी चुदाई से प्यार तक का सफर - Part 2 - Washroom Sex

30 साल बाद मेरे लंड को मिली एक Perfect चूत