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मैं Priya हूँ… 24 साल की, Delhi में रहती हूँ। 5'4" की height, गोरा रंग, भरपूर curves — मेरी कमर पतली और गांड गोल-उभरी, 34D के गोल-मटोल चूचियाँ और मेरी चूत… हमेशा थोड़ी नम। मुझे लगता था कि मैं सब कंट्रोल कर सकती हूँ… लेकिन उस रात, कहानी ही बदल गई।
Aakash ने मुझे बुलाया — बोला, “casual मिलते हैं, पुरानी बातें करते हैं।” मैं सोच रही थी कि सिर्फ बैठ कर बातें होंगी। लेकिन जैसे ही फ्लैट में घुसी… Rahul और Sameer भी वहाँ थे।
माहौल कुछ अलग था — हल्की सी tension, और तीनों की निगाहें मुझ पर टिक गईं। Rahul ने दरवाज़ा अंदर से लॉक कर दिया। “क्या मतलब ये सब?” मैंने थोड़ी घबराहट में पूछा।
Aakash सिर्फ मुस्कुराया — “Priya, आज बस तुझे महसूस करना है।”
मैंने विरोध जताने की कोशिश की — “मज़ाक मत करो…” लेकिन मेरी आवाज़ कांप रही थी। डर और curiosity का अजीब सा cocktail दिल में दौड़ रहा था।
Sameer धीरे से पास आया — उसकी उंगलियाँ मेरी कमर से होते हुए मेरी पीठ पर घूमीं। हटना चाहा, पर शरीर वहीं रुक गया।
Aakash ने मेरी उंगलियाँ थामीं और मेरी आँखों में देखा — “कुछ मत बोल… बस feel कर,” उसकी आवाज़ धीमी पर गहरी थी।
Rahul पीछे से आया, मेरे बालों को कानों के पास से पीछे किया और गर्दन पर होंठ रख दिए। मेरी सिसकारी खुद-ब-खुद बाहर आ गई।
फिर किसी ने मेरी टी-शर्ट ऊपर की, ब्रा को साइड किया… और जब होंठों ने मेरी निप्पल को पकड़ा — तब जो 'ना' थी… वो धीमी सिसकारी में बदल गई।
कब कपड़े उतर गए, पता नहीं चला। मेरी panty हट चुकी थी — मेरी चूत हल्के काँपते होंठों के साथ भीग चुकी थी।
“इतनी जल्दी तैयार हो गई?” Rahul ने मुस्कुराते हुए कहा। अब मैं सिर्फ इतना ही बोली — “अगर कर ही रहे हो… तो अधूरा मत छोड़ना।”
उन्होंने मुझे बेड पर गिरा दिया। मेरे निप्पल पत्थर जैसे सख्त थे। Rahul ने एक चूची मुँह में भर ली। Sameer ने नीचे झुक कर मेरी चूत पर उंगली फिराई — और जैसे ही देखा कि वो भीग चुकी है, बोला — “देख Priya की हालत… साली खुद चाहती है।”
Aakash ने अपना 7-inch मोटा लंड मेरे मुँह के सामने रखा। हल्का विरोध किया — लेकिन फिर खुद चूसने लगी… जैसे मुझे यही चाहिए था।
Sameer ने मेरी गांड पर थूका… और धीरे-धीरे अपना मोटा लंड अंदर घुसाया। “आह… धीमे…!” मेरी चीख निकली — पर चूत और ज्यादा भीगने लगी।
Rahul ने मेरी टाँगें फैलाईं… और एक ही झटके में अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया।
अब मैं तीनों से एक साथ भरी हुई थी — मुँह में Aakash, चूत में Rahul, और गांड में Sameer। हर thrust पर मेरी सिसकारी गूंज रही थी — “हूं… आह… हाँ…”
मेरी टाँगें काँप रहीं थीं, चूत से रस बह रहा था… और मुँह में झड़ने जैसा दबाव बढ़ रहा था।
“Priya, तू तो addiction है…” Aakash बोला और मुँह में ही झड़ गया। मेरा मुँह लार और वीर्य से भरा था, लेकिन अब मेरे होंठ मुस्कुरा रहे थे — “मुझे और चाहिए…”
फिर उन्होंने मुझे पलटा — Rahul अब मुँह में था, Aakash ने चूत में एंट्री ली, और Sameer निप्पल और गर्दन चूस रहा था।
मैं खुद कह रही थी — “तेज़ करो… और करो… मेरी चूत अब भी भूखी है…”
तीनों ने फिर positions बदलीं — Rahul ने गोदी में उठाकर चूत में लंड डाला, Sameer मुँह में भर चुका था, और Aakash ने गांड में धकेल दिया।
“Priya… आज तुझे हर जगह से भर देंगे।”
और सच में — मैं बार-बार झड़ रही थी, चूत से पानी बह रहा था, गांड tight थी और मुँह भरता जा रहा था।
Veerya मेरी जाँघों से टपक रहा था — और मैं बस मुस्कुरा रही थी।
अब मैं रुकने वाली नहीं थी। डर से शुरू हुई उस रात ने मुझे बदल दिया था।
“Priya… अब तू हमारी है,” Rahul ने आँखों में देखकर कहा। मैं चुपचाप सिर हिला दी।
Sameer ने मेरी जाँघें फैलाकर चूचियाँ चूसीं… और Aakash ने हल्के से गर्दन पर होंठ रखे।
Rahul ने फिर चूत में धक्का मारा — “आह… हाँ… और अंदर…” मैं चीखी।
Sameer ने मुँह में भर दिया — जीभ उसकी नली पर नाच रही थी। Aakash ने पीछे से गांड में घुसते हुए कहा — “Breathe Priya… feel kar सब कुछ…”
“Aakash… रुक मत… पूरा भर दे…” “Sameer… तेरी गंध मेरी जीभ पे छा रही है…” “Rahul… तू हर thrust पे मुझे aurat बना रहा है…”
मैं झड़ती रही — बार-बार। उन्होंने मुझे उल्टा, सीधा, दीवार से टिका कर… गोदी में उठाकर… हर एंगल से चोदा।
हर बार thrill और intense हुआ — और मैं और गीली होती गई।
“रुको मत… आज मुझे रंडी बना दो…” ये शब्द मेरे होंठों से खुद-ब-खुद निकल रहे थे।
Veerya मेरी चूत, पीठ और मुँह से बह रहा था। मैं बस लेटी थी… थकी हुई… पर मुस्कुरा रही थी। शरीर थक गया था लेकिन मन अब भी भूखा था… जैसे शरीर ने हार मानी हो, पर चूत ने नहीं।
मैं थोड़ी देर के लिए सो गई थी… या शायद बेसुध सी। लेकिन जैसे ही Sameer ने मेरी चूत पर उंगली फिराई — वो तुरंत भीग गई।
“देख साली की चूत फिर से बहने लगी,” Rahul ने हँसते हुए कहा।
मैंने आँखें खोली… और फिर से वही कहा — “आज मुझे रंडी बना दो… गालियाँ दो, मुझे घसीटो… पूरा खोल दो मुझे…”
अब तीनों लड़कों की नज़रों में वही आग थी — और इस बार, उन्होंने कोई नरमी नहीं बरती।
Aakash ने मेरी चूत पर एक जोरदार थप्पड़ मारा — “साली फिर से भीग रही है… तू रंडी है ना? चल अब बिना नखरे के ले इसे।”
Sameer ने मेरे बाल पकड़ के मुँह ऊपर किया — “मुँह खोल साली, आज गला चोदेंगे।”
Rahul ने मुझे पीछे से पकड़ा, और गांड पर एक कस के चांटा मारा — “रंडी बनना चाहती है? चल अब रो मत, बस चिल्ला…”
फिर शुरू हुआ अगला राउंड — इस बार Priya कोई मासूम नहीं थी, अब वो खुद अपनी गांड, चूत और मुँह आगे कर रही थी।
Sameer ने मुँह में लंड ठूँस दिया — “चूस साली… ऐसे नहीं, गले तक ले…” और मैं खुद जीभ से लपलपाती हुई चूस रही थी।
Rahul ने चूत में पूरी ताकत से लंड मारा — “अब रो मत… ये रंडी रोने के लिए नहीं, चुदने के लिए बनी है…” हर धक्के पर मेरी चीख निकल रही थी — लेकिन अब वो दर्द नहीं, तृप्ति थी।
Aakash पीछे से गांड में उतर चुका था — “अब tight नहीं है साली… अब खुल चुकी है पूरी… रंडी हो गई है तू…”
तीनों के मुँह से गालियाँ, झटकों में जान, और आँखों में वही लत थी — और मुझे, सिर्फ मज़ा आ रहा था।
“हाँ... गालियाँ दो... चाटो मेरी चूत... फाड़ दो मुझे... आज मुझे पूरी रंडी बना दो…”
मैं अब खुद अपनी सीमाएँ तोड़ चुकी थी। न लाज बची थी, न झिझक — बस शरीर की भूख और उन तीनों का पसीने से भरा मर्दाना जिस्म। मेरी चूत जल रही थी, गांड फटी जा रही थी और मुँह में वीर्य का स्वाद भर चुका था — लेकिन दिल अब भी कह रहा था: “कम है... और चाहिए…”
Sameer ने मेरा मुँह पकड़ा, आँखों में देखा और अपनी पूरी मर्दानगी गले तक ठूँस दी। फिर झड़ते हुए गुर्राया — “ले साली, मुँह में थ... मेरा बीज है…”
मैंने आँखें बंद कीं और उसकी गर्म धार को गले तक निगल लिया। मुँह से एक बूँद भी बाहर नहीं निकली — क्योंकि अब मैं खुद चाहती थी कि हर एक बूँद मेरी हो।
Rahul मेरी चूत को थामे हुए झटके मार रहा था। फिर उसने लंड खींचा, मेरी चूत में गहराई तक झड़ा — और बोला, “अब ये चूत मेरी है... तेरी नहीं। तू सिर्फ चुदने के लिए बनी है Priya… एक गंदी, भूखी रंडी।”
Aakash अब भी पीछे से मेरी गांड को पकड़कर आखिरी धक्का मार रहा था — और फिर उसने गरजते हुए अंदर ही छोड़ दिया, “तेरी tight गांड अब खुल चुकी है... रंडी, यही तो चाहती थी ना तू?”
तीनों की साँसें भारी थीं, कमरा पसीने और वीर्य की महक से भर चुका था। मैं बीच में लेटी थी — मेरी चूत लथपथ, मुँह से वीर्य टपक रहा था, गांड जल रही थी… लेकिन होठों पर वही सच्ची मुस्कान थी — जैसे हर दर्द, हर कराह अब मेरी पसंद बन चुकी थी।
शरीर थक चुका था… लेकिन मेरा मन अभी भी चुप नहीं था। मैं धीरे से मुस्कराई, होंठ चाटे और धीमे से कहा — “एक बार और… लेकिन इस बार… मुँह में सबकी बारी-बारी से… मैं सब कुछ पी जाऊँगी…”
मेरी बात सुनते ही तीनों की नज़रों में फिर से वही दरिंदगी लौट आई। अब मैं उनके नीचे नहीं — उनके बीच थी, घुटनों के बल… मुँह पूरी तरह खुला… जैसे खुद मांग रही हूँ कि मेरी गंदगी को और गंदा करो।
“चल Sameer, पहले तू दे इस रंडी को…” Aakash ने कहा।
Sameer ने बाल पकड़कर मुँह ऊपर किया — “मुँह खोल Priya, इस बार और गहराई तक जाएगा।”
मैंने होंठ चाटते हुए मुँह खोला — और Sameer ने झटके से अपना पूरा लंड ठूँस दिया। मेरी आँखों से पानी निकल आया, पर मैंने विरोध नहीं किया — उल्टा और अंदर खींचने लगी।
“साली नशेड़ी बन गई है वीर्य की…” Rahul हँसते हुए बोला।
Sameer की साँसें तेज़ हो गईं, वो मेरी जीभ पर थरथराता हुआ झड़ा — “ले… गटक सब कुछ।”
मैंने पूरा वीर्य चाटा — होंठ, लंड, यहाँ तक कि जांघ तक कुछ गिरा था, वो भी चाट कर पी गई।
“अब मेरी बारी…” Rahul बोला।
उसने अपना लंड मुँह में डालते हुए कहा — “अब चीख मत… सिर्फ चूस… और पी…”
मैंने खुद Rahul के लंड को गले तक लिया, उसकी नली चूसते हुए जीभ घुमाई — वो हिलता रहा, गरजता रहा… और फिर गहराई तक झड़ गया। मैं फिर से पी गई — बिना एक बूँद गिराए।
Aakash आखिरी था… लेकिन उसकी आँखों में कुछ और ही आग थी — “अब तू मेरी सबसे खास रंडी बनेगी…”
उसने मुझे ज़मीन पर लिटाया, फिर ऊपर बैठकर मुँह पकड़ा — “अब इसे चूस और पी। मेरा नाम लेते हुए पी…”
मैंने आँखों में देखा — “हाँ Aakash… तेरा लंड है… तेरी रंडी हूँ… झड़ इस मुँह में…”
Aakash ने पूरा झटका दिया — “ले Priya…” — और उसकी गरम धार मेरे गले में उतर गई। मैं पी गई — आँख बंद करके, मुस्कुराते हुए।
तीनों अब मेरे चारों तरफ बैठे थे — और मैं उनके बीच, थकी हुई… लेकिन संतुष्ट।