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मेरा नाम सान्या है, उम्र 19 साल, और मैं पहली बार गर्ल्स हॉस्टल में रहने आई थी। मेरी दो रूमी थीं — आयरा और माया। दोनों हद से ज़्यादा हॉट, बेबाक और फ्लर्टी थीं।
धीरे-धीरे हमारी बॉन्डिंग ऐसी हो गई कि हम एक-दूसरे की सांसों तक को महसूस करने लगे थे… बातों से आगे बढ़ने में अब देर नहीं थी।
एक रात तेज़ बारिश हो रही थी। हॉस्टल की लाइट चली गई थी। कमरे में सिर्फ मोमबत्ती की हल्की रौशनी थी और वाइन की बोतल खुल चुकी थी।
“चलो कुछ spicy खेलते हैं…” माया ने आँखों में शरारत लिए कहा। मैंने मुस्कुरा कर बोतल उठाई, “Truth or Dare?”
पहला डार मुझे मिला — “आयरा को होंठों पर किस करो।” थोड़ी झिझक के बाद मैं उसके करीब गई — और धीरे से उसके होंठ अपने होंठों से छू लिए। लेकिन वो हल्की टच एक गहरे, भीगे चुंबन में बदल गई।
उसकी गर्म साँसे मेरी साँसों से उलझ गईं। उसकी जीभ मेरे होंठों के बीच खेल रही थी, मेरी जांघें भींचने लगी थीं।
तभी माया बीच में आ गई — उसकी आँखों में आग थी। उसने मेरी टीशर्ट धीरे से ऊपर सरकाई और मेरे निपल्स को अपने मुँह में भर लिया। उसकी जीभ मेरे निपल के चारों ओर गोल घुम रही थी, हल्के से काट भी रही थी।
आयरा ने पीछे से मेरी पैंटी नीचे सरका दी और उँगलियों से मेरी भीगी चूत को सहलाने लगी। “इतनी गीली... बस एक किस से?” वो फुसफुसाई।
मैं अब खुद को रोक नहीं पा रही थी। मैंने आयरा की नाइटी ऊपर खींच दी, उसके पैर फैलाए, और अपनी जीभ उसके रस से भीगे होंठों पर फेरने लगी। वो सिसकारी भरकर मेरी जुल्फों को मरोड़ने लगी।
मेरी जीभ उसके चूत के हर कोने को चख रही थी। उसी समय माया ने मेरी चूत में उंगलियाँ डाल दीं — धीरे-धीरे, फिर तेजी से। मेरी कमर झटकों से भरने लगी।
अब हम तीनों एक-दूसरे के जिस्म में खो चुके थे। कभी मैं माया के ऊपर चढ़ती, कभी आयरा मेरी जांघों में घुसती। हमारी साँसें तेज़ थीं, होंठ प्यासे, और उंगलियाँ एक-दूसरे को खोल रही थीं।
फिर माया ने vibrator निकाला और मेरे चूत में उसे धीरे से डाला... साथ ही अपनी दो उंगलियाँ भी घुसेड़ीं। मैं चीख उठी — "हाँ... और अंदर... और गहराई में..."
चादर अब आधी फर्श पर गिर चुकी थी। हम तीनों के जिस्म भीग चुके थे, और फिर भी प्यास बाकी थी। माया ने मेरी आँखों में गहरी नज़र डाली, मुस्कुराई — और मेरी टाँगों के बीच आ गई।
उसकी जीभ मेरी चूत पर नाचने लगी — हल्के से, तेज़ी से, फिर गहराई तक उतरती हुई। मैं काँप रही थी... उसकी जीभ अंदर-बाहर घूम रही थी जैसे मुझे चखते-पीते पीते उसकी अपनी प्यास भी बढ़ती जा रही हो।
आयरा ने पीछे से मुझ पर झुक कर मेरे निपल्स को चूसना शुरू कर दिया। उसके होंठ गर्म थे, उसकी जीभ मेरे निपल्स के चारों ओर लिपट रही थी — हल्के काटने और चूसने के साथ। मेरे शरीर से सिसकियाँ फूट रही थीं।
अब माया ने मेरे दोनों पैर उठाए, और चूत को पूरी तरह खोल दिया — उसने अपनी दो उंगलियाँ मेरी चूत में डालीं और तीसरी उंगली मेरी गांड की दरार पर फिराने लगी। मैं तड़पने लगी — एक साथ दो जगह छूने का नशा मेरे होश उड़ा रहा था।
"सहन कर सकती हो?" माया ने मुस्कुराते हुए पूछा। मैंने बस आँखें बंद कर के सर हिला दिया।
फिर माया ने vibrator को चालू किया — उसकी कंपन मेरी चूत के सबसे अंदर तक गूंजने लगी। आयरा ने इस बीच मेरे बालों को पकड़ कर मेरा चेहरा अपने बीच ले लिया — उसकी रस से भीगी चूत मेरे होंठों से टकराई, और मैं बिना रुके उसकी गीली गरमी को चूसने लगी।
अब हम तीनों के जिस्म एक लय में हिल रहे थे — मेरी जीभ आयरा की चूत में थी, मेरी चूत में vibrator, और माया की जीभ मेरी गांड को चाट रही थी।
हर मिनट हम एक-दूसरे को ओर ज़्यादा खोलते, चखते, और भरते जा रहे थे। कभी कोई ऊपर, कभी कोई नीचे — हमारी सिसकियाँ, हमारी उंगलियाँ, हमारे होंठ, हमारी जीभें — सब एक-दूसरे में गुम हो गई थीं।
मेरा पहला जोरदार orgasm आया — मैं चीख पड़ी, मेरी जांघें कांपने लगीं। लेकिन माया ने रुकने नहीं दिया — vibrator गहराई तक अंदर, उसकी जीभ लगातार मेरी गांड पर — और आयरा ने अपने चूते होंठ मेरी छाती पर घिसने शुरू कर दिए।
कुछ ही मिनटों में मैं फिर से फटी — एक और तीव्र, झनझनाता orgasm। लेकिन इस बार हम तीनों एक साथ चीख उठीं — एक-दूसरे से लिपटी, पसीने से भीगी, रस से टपकती, प्यार में डूबी।
हम चादर में लिपटी पड़ी थीं — साँसें अभी भी तेज़, शरीर अब भी एक-दूसरे से चिपके हुए। माया ने धीमे से फुसफुसाया — अब हम सिर्फ दोस्त नहीं रहे... अब हम एक-दूसरे के जिस्म और रूह का हिस्सा बन गए हैं।"