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जयपुर की तपती दोपहर में, हवा भी जैसे जल रही थी। और उसी गर्मी में, मैं — सपना — दिल्ली की 22 साल की एक आज़ाद और बिंदास लड़की, अपनी पहली सोलो ट्रिप पर निकली थी।
5'3" हाइट, 34C के उभरे हुए, भरपूर चूचियाँ, 26 इंच पतली कमर और 36 इंच की गोल, लोचदार गांड — जैसे खुदा ने चुदने के लिए ही गढ़ी हो।
चमकती गोरी त्वचा, काले लंबे बाल, और आँखों में ऐसी चमक कि कोई भी मर्द फिसल जाए। हाथ में एक छोटा बैग, और बदन पर एक टाइट शॉर्ट ड्रेस, जिसमें मेरी चिकनी जांघें और फटी हुई गोल गांड साफ उभर रही थी।
मेरी चूत अब तक तीन बॉयफ्रेंड के लंड चूस चुकी थी — करीब 5-6 बार अलग-अलग अंदाज़ में चुद चुकी थी, फिर भी अंदर से अभी भी कस के टाइट और भूखी थी।
हर बार चुदने के बाद जैसे शरीर कुछ मांगता था — कुछ और गहरा, कुछ और मोटा, जो मुझे पूरी तरह तोड़ सके।
इस बार ट्रिप का बहाना बनाया था, पर सच ये था कि दिल के किसी कोने में एक आग सुलग रही थी — ऐसा लंड चाहिए था जो मेरी चूत को फाड़कर रख दे, और मुझे सच में 'सपना' से 'रंडी' बना दे।
तेज़ हवाओं में मेरा बदन लहरा रहा था — और मेरी चूत हर कदम पर हल्की हल्की गीली हो रही थी, जैसे खुद आगे बढ़कर किसी अनजान लंड की तलाश कर रही हो।
रेलवे स्टेशन की भीड़ में मैं अपने बैग के साथ एक कोने में खड़ी थी, जब पहली बार मेरी नज़र उस पर पड़ी।
लंबा कद, लगभग 6 फुट के आसपास, हल्के भूरे बाल, चमकती नीली आंखें, और कंधे पर एक भारी सा बैकपैक लटकाए हुए।
उसका चेहरा थोड़ा परेशान था — जैसे पहली बार भारत आया हो और कुछ समझ ना आ रहा हो। मैंने बिना सोचे समझे मुस्कुराते हुए पूछा — "Need help?"
वो थोड़ा सा चौंका, फिर हौले से मुस्कुराया — "Yes, please... Where is platform 4?"
उसकी टूटी-फूटी अंग्रेज़ी और मासूमियत भरी मुस्कान ने दिल को छू लिया। मैंने इशारा करते हुए कहा — "Same train. I'm also going there."
नाम पूछा तो उसने खुद बढ़कर कहा — "I'm Lukas... Brazil." और हँसते हुए अपना हाथ आगे बढ़ाया।
मैंने उसका हाथ थामा — हल्की सी गर्माहट, मजबूत पकड़। लुकास, 28 साल का विदेशी टूरिस्ट, और शायद मेरी इस ट्रिप का सबसे अनजाना लेकिन दिलचस्प मोड़।
शायद किस्मत को हमारी कहानी यहीं से शुरू करनी थी...
हम दोनों एक ही कोच में थे — और इत्तेफाक से बर्थ भी साथ-साथ।
ट्रेन चलते ही हम बातें करने लगे — ट्रैवल, म्यूजिक, इंडिया के खाने के बारे में। उसकी टूटी-फूटी हिंदी और मेरी टूटी-फूटी इंग्लिश के बीच खूब हंसी मजाक हो रहा था।
उसका accent बड़ा क्यूट था, और उसकी आँखों में एक अलग सी मासूमियत थी। लेकिन जो सबसे अजीब चीज थी — वो थी उसकी बॉडी से आती हल्की सी मर्दानी महक... जो अजीब तरह से मुझे खींच रही थी।
बैठते उठते, ट्रेन के झटकों से हम कई बार हल्के से टकराए। एक बार जब मैं सीट से उठी, तो मेरा हाथ अचानक उसकी जांघ से टकरा गया — और वहीं कुछ भारी, मोटा सा महसूस हुआ।
मैं झिझक गई — लेकिन आंखें अपने आप वहीं टिक गईं। उसकी जीन्स के नीचे, साफ साफ कुछ उभरा हुआ था — जैसे किसी भारी चीज़ की छाया...
**"क्या सच में?"** मेरे मन में हलचल मच गई थी। इतना बड़ा कि बाहर से भी साफ दिख रहा था?
मैंने नज़रें चुराईं, लेकिन दिमाग वहीं अटका रहा।
ट्रेन की हल्की-हल्की हिलती आवाज़, बाहर का अंधेरा, और डिब्बे में आती जाती रोशनी — सब माहौल को और भी मदहोश कर रहे थे।
हमारी कुहनी बार-बार टकरा रही थी, घुटने एक-दूसरे से छू रहे थे — और मैं हर बार उसकी जीन्स के उभरे हिस्से की तरफ नजर डालकर जल्दी से पलट जाती थी।
उसने शायद मेरी नजरें पकड़ ली थीं — क्योंकि वो भी मुस्कुरा रहा था, एक धीमी सी चुपचाप मुस्कान के साथ।
बातों-बातों में पता चला कि हम दोनों का डेस्टिनेशन एक ही था — **अजमेर।**
मैंने चुटकी ली — "Looks like destiny wants us together!"
वो हंसा — उसकी हंसी में गर्मी थी, और एक अजीब सी खामोशी भी।
जब अजमेर पहुंचने का समय आया — रात काफी हो चुकी थी। ज्यादातर होटल्स बंद हो गए थे या फुल थे।
मैं थोड़ी घबराई हुई थी। उसने मेरी तरफ देखा और बड़े नरम अंदाज़ में पूछा — "If you want, we can share... two beds room?"
थोड़ी देर सोचने के बाद — और दिल में हल्की सी धड़कन के साथ — मैंने हामी भर दी। **एक तो जगह की टेंशन थी, ऊपर से... न जाने क्यों, उसका साथ अच्छा लग रहा था।**
हम एक नज़दीकी decent होटल में पहुँचे — double bed वाला कमरा लिया। दोनों ने फॉर्मल तरीके से बातें कीं — लेकिन कमरे में जाते ही माहौल बदलने लगा था।
वो जब टी-शर्ट उतारकर बैग से कुछ निकालने लगा — तो मेरी नज़रें अपने आप उसके ऊभरे हुए लंड पर टिक गईं — जो अब boxer में कैद होकर और भी साफ दिख रहा था।
**मेरा गला सूखने लगा था...** दिल धड़क रहा था... और चूत के भीतर कहीं गीलापन महसूस होने लगा था...
**"कितना बड़ा है..."** मैंने खुद से बुदबुदाया — और वहीं से एक जंगली सी तड़प मन के किसी कोने में जाग गई थी।
कमरे का माहौल गरम था। मैं पलंग के कोने पर बैठी हांफ रही थी — आंखें पिघली हुई, चूत से पानी बहता हुआ, बदन कांपता हुआ।
लुकास मेरे सामने खड़ा था, अपने भारी, धड़कते 10 इंच के लंड को हाथ में पकड़कर। उसकी आँखों में आग थी, होंठों पर दरिंदगी।
मैं रेंगते हुए उसके पास गई — दोनों हाथों से उसका लंड थामा और गीली जीभ से चाटना शुरू कर दिया।
**"Suck my cock, you filthy bitch..."** उसने बाल पकड़कर मेरा सिर पीछे धकेला।
मैंने आंखों में आंसू और चूत में गीला पन लेकर उसका पूरा लंड चूसना शुरू किया — जितना अंदर ले सकी, घुटते हुए।
**"Yeah... that's it... take it deeper... choke on it..."** उसकी आवाज मेरे कानों में गूंज रही थी।
मेरे मुंह से लार गिरने लगी थी, मैं पूरी रंडी की तरह उसके लंड पर सिर हिला रही थी।
फिर उसने मुझे जोर से उठाया — मेरे गालों पर एक कड़क थप्पड़ मारा — और बिना कुछ कहे मुझे पेट के बल बिस्तर पर पटक दिया।
**"You want this dick, you dirty little slut?"** उसने गुर्राते हुए फुसफुसाया, और मैं हाँफती हुई, पूरी तरह से बेकाबू, भीख मांगने लगी — "Yes... yes please... fuck me... tear me apart...!"
उसने अपने मोटे, गरम, फड़फड़ाते 10 इंच लंबे लंड की नोक मेरी भीगी चूत के दरवाजे पर रखी। मेरी चूत हल्के से फड़की — डर और चाह दोनों से भीगी हुई।
वो धीरे से आगे बढ़ा — पहली इंच अंदर धंसते ही मेरी सांस अटक गई। चूत की दीवारें जैसे तड़प उठीं, और मेरी आंखों में आंसू भर आए।
**"Aaahh fuck... slow... it's too big...!"** मैं सिसक पड़ी — लेकिन वो रुका नहीं।
दूसरी इंच — थोड़ी और जलन, थोड़ा और दर्द — मेरी टाँगें अपने आप सिकुड़ने लगीं।
तीसरी इंच — अब मैं पूरी तरह काँप रही थी, हाथों से चादर को जकड़कर चीखने लगी।
**"Fucking tight whore... open up for my cock..."** वो दाँत भींचते हुए गुर्राया, और चौथी इंच तक अंदर घुस गया।
अब चूत से पानी की धार बहने लगी थी — दर्द, डर, और भूख का अजीब सा घुला हुआ रस।
पाँचवी इंच — मेरे होंठों से अनियंत्रित कराहें निकल रही थीं, जिसे मैं रोक भी नहीं पा रही थी।
छठी इंच — अब मेरा पूरा बदन कांप रहा था, पेट की मांसपेशियां भींच रही थीं, जैसे अंदर कुछ टूटने वाला हो।
सातवीं इंच — जब उसने थोड़ा और दबाव डाला — मैं पूरी ताकत से हाथों से उसे धक्का देने लगी — "No... stop... it's too much... please stop..."
मेरी चूत अंदर से आग बन चुकी थी — जैसे दीवारें फट गई हों, हर नस चिल्ला रही थी।
लेकिन लुकास ने मेरी कमर को कसकर थामे रखा — मेरी टांगों को और फैला दिया — और वहीं आधा लंड अटका रहने दिया।
अब उसके लंड का आधा हिस्सा मेरी चूत के अंदर धंसा था, और आधा मोटा, गरम हिस्सा बाहर धड़क रहा था।
**"You can't take it all, huh slut? But you're gonna fucking suffer on this dick..."** वो गुस्से में गुर्राया, और फिर जानवर की तरह चोदना शुरू कर दिया।
हर स्ट्रोक पर उसका मोटा लंड मेरी चूत को भीतर से चीरता, दीवारों को फैलाता, और हर बार मेरी चीखें कमरे में गूंजतीं — **"Ahh... fuck... aaahhh... daddy... too much... I'm breaking...!!!"**
बिस्तर चरमरा रहा था, मेरी चूत से चपचप करती आवाजें आ रही थीं, और हर धक्के के साथ गरम पानी की धार निकलती जा रही थी।
मैं बेहोशी के करीब थी — लेकिन लुकास का लंड रुकने का नाम नहीं ले रहा था — वो मुझे आधे लंड से भी फाड़ रहा था, हर thrust के साथ मुझे अपनी गुलाम बनाता जा रहा था।
**"Deeper... harder... fuck me ... please... kill me with your cock..."** मैं बड़बड़ाती रही, रोती रही, तड़पती रही।
उसने मेरी कमर थामी — और एक के बाद एक भयंकर धक्के मारने लगा।
**"Chup reh... just take my dick, slut..."** उसने दहाड़ते हुए मेरे बाल खींचे — और अपना पूरा लंड फिर से ठूंस दिया।
मेरी चूत अब uncontrollably फिसल रही थी — हर धक्के के साथ पानी का फव्वारा फूटता था।
**"Oh fuck... oh fuck..."** मैं चीखती रही — फिर एक बार मेरी चूत से जोरदार स्क्वर्ट हुआ — धारा जैसी धार, गीला कर दिया पूरा बिस्तर।
उसने मेरी पीठ को दबाया — और मुझे पूरी तरह झुका कर **raw animal fucking** शुरू कर दी।
**"Yes baby... open that whore pussy... take it all... take my fucking cock...!"** वो गुर्राता रहा — और मैं अपनी पूरी जिंदगी उसकी मर्दानगी के नीचे रगड़ती रही।
**"More... more... fuck me till I die..."** मैं बेहोशी में भी उसकी चुदाई मांग रही थी।
हर स्ट्रोक मेरी रीढ़ तक बिजली की तरह दौड़ता था — आंखें पलट गई थीं, जीभ बाहर निकल आई थी।
**"I'm gonna cum... take it all you dirty little cumdump..."** उसने गुर्राकर मेरे बाल खींचे और एक जानदार thrust मारा।
फिर गर्म, भारी वीर्य का लावा मेरी चूत में फूट पड़ा।
इतना गाढ़ा और गरम था कि जैसे मेरी पूरी कोख भर गई हो।
मैं बेदम होकर बिस्तर पर गिर गई — चूत से वीर्य बहता रहा, बदन में हर नस थरथराती रही।
उसने मुझे थामकर फुसफुसाया — "You're mine now... my little broken slut..."
मैंने सुन्न होंठों से मुस्कुराते हुए कहा — "Yes... yours... forever..."
जब उसका गरम वीर्य मेरी चूत के भीतर फूटा — पूरा बदन जैसे सुन्न हो गया। हर नस में कंपन था, हर सांस बोझिल।
मैं बेदम सी पलंग पर गिरी पड़ी थी — टाँगें फैलकर ढीली पड़ी थीं, चूत से उसका गाढ़ा वीर्य बाहर टपक रहा था।
मेरी आँखें आधी पलटी हुई थीं — होठों पर एक टूटी, थकी हुई मुस्कान थी।
लुकास भी बिस्तर पर मेरे बगल में आकर लेट गया — उसकी सांसें तेज थीं, बदन तप रहा था — लेकिन उसके हाथ अब भी मेरे शरीर को ऐसे छू रहे थे जैसे अपनी आखिरी लड़ाई जीत चुका हो।
मैंने उसकी ओर देखा — उसके चेहरे पर एक थकी हुई, संतुष्ट मुस्कान थी।
बिना कोई वादा, बिना कोई कहानी — सिर्फ दो जिस्म, जो अपनी भूख पूरी कर चुके थे।
उसने चादर मेरी खुली टांगों पर डाली — जहाँ से अब भी उसका गरम वीर्य रिस रहा था।
रात भर — फिर से... फिर से... और फिर से — उसने मुझे तोड़कर, रगड़कर, भरकर, मेरी हर नस में अपनी मर्दानगी की आग छोड़ दी।
हमने अगले तीन दिन एक होटल रूम में ही बिताए — हर घंटे, हर मिनट — चूत और लंड की प्यास में डूबते हुए।
कभी पलंग पर, कभी बाथरूम में, कभी बालकनी में — कभी पेट के बल, कभी घुटनों के बल, कभी मुँह में लंड ठूंस कर, कभी गांड तक खोलकर।
हर बार — जब भी लुकास मुझे चोदता, मुझे भूल जाता था कि मैं इस ट्रिप पर खुद को ढूंढने निकली थी।
मेरी पूरी दुनिया — सिर्फ उसकी मोटी लंड की धड़कन में सिमट गई थी।
तीन दिन बाद, जब उसका सफर खत्म हुआ — लुकास अपने देश वापस लौट गया।
न कोई वादा, न कोई अलविदा — सिर्फ एक लंबा, गहरा किस और एक तृप्त मुस्कान।
मैं फिर से अपने रास्ते पर थी — पर अब चूत के अंदर हर हलचल के साथ, उसके 10 इंच के मोटे लंड की याद गहरे तक धंसी हुई थी।
आज भी — जब कभी अकेले में, उंगलियाँ चूत तक जाती हैं, तो बस वही पल याद आता है — जहाँ एक परदेसी ने, मेरी रूह नहीं — सिर्फ मेरी चूत पर अपना नाम लिखा था।