यह साइट केवल वयस्कों के लिए है। इसमें यौन और संवेदनशील सामग्री शामिल है। कृपया तभी प्रवेश करें जब आपकी उम्र 18 वर्ष या उससे अधिक हो।
चार महीने हो गए थे।
हमारे बीच अब बातें नहीं होती थीं, सिर्फ जवाब आते थे। वो भी सूखे, थके हुए, जैसे किसी मीटिंग से लौटते हुए जबरदस्ती भेजे गए हो।
“Busy हूँ।” “Later call karungi।” “अब ये सब मत शुरू कर।”
हम दोनों जानते थे कि ये सिर्फ थकावट नहीं थी, ये वो खिंचाव था जो तब आता है जब दो लोग एक-दूसरे को छू नहीं पाते।
मैं जानता था, स्नेहा अब भी मुझसे प्यार करती है। पर अब वो बात नहीं करती थी — ना चाह कर, ना चाह के बारे में।
शरीर छूने से पहले, शब्द छूट चुके थे।
मैंने बहुत बार कोशिश की, वो पलट कर बात करे। पर हर बार वही बात दोहराई जाती —
“तू हर बार सेक्स की बात करता है। तुझे कभी सिर्फ बात करने का मन नहीं होता?”
पर सच्चाई ये थी कि बातें जब टूट जाएं, तब जिस्म ही बात करता है।
उस दिन मैंने आख़िरी बार सिर्फ इतना कहा —
“बोल के बिगाड़ने से अच्छा है, एक बार मिल… चोद के सुलझा लें।”
उसने कुछ जवाब नहीं दिया, बस अगले दिन एक लोकेशन भेज दी।
मैं पहुँचा तो दरवाज़ा खुला था। वो अंदर थी — सादे से कपड़े पहने, आँखों में थकावट थी और चेहरा भावहीन।
हम दोनों कुछ नहीं बोले।
कमरे में एक अजीब सी चुप्पी थी, जो सुलग रही थी।
वो कुर्सी पर बैठी थी, मैंने बैग रखा और उसके सामने खड़ा हो गया। उसने मेरी तरफ देखा, और कुछ सेकंड तक सिर्फ देखा। फिर बोली —
“अब भी sex चाहिए ना?”
मैंने सिर हिलाया, “नहीं, सुलह चाहिए… पर तेरे लफ़्ज़ों से नहीं हो पाएगी। इस बार बस चुप रह और मुझे करने दे जो मैं जानता हूँ।”
वो उठी, और बिस्तर की तरफ बढ़ गई।
बिना कुछ कहे लेट गई — उसका चेहरा मेरी तरफ था, पर आँखें अब भी दूर देख रही थीं।
मैंने धीरे-धीरे उसकी कमर पर हाथ रखा। ना कोई विरोध, ना कोई प्रतिक्रिया।
उसके कपड़े उतारते हुए मैंने साफ़ महसूस किया — वो मन से भले दूर थी, पर उसका शरीर अब भी पास आना चाहता था। शायद अब वो sex में उतनी दिलचस्पी नहीं रखती थी, लेकिन उसका बदन अब भी मुझे पहचानता था, और मेरी छुअन में खुद को ढीला छोड़ रहा था।
मैंने उसकी पैंटी उतारी — चूत हल्की गीली थी। इतनी सी नमी भी ये बता रही थी — कि वो चाहती थी, लेकिन कह नहीं रही थी।
मैंने लंड उसकी चूत पर रखा। वो काँपी नहीं, बस गहरी साँस ली।
जब मेरा लंड उसकी चूत में घुसा — वो चुप रही, कोई आवाज़ नहीं निकली। लेकिन अगले ही पल उसने मेरी पीठ ज़ोर से पकड़ ली — जैसे खुद को रोक नहीं पा रही हो।
उसकी आँखें अब भी बंद थीं, पर होंठ खुले, सांसें तेज़, और कमर हर थ्रस्ट पर थोड़ी ऊपर उठती जा रही थी।
हर बार मैं जब भरता, वो धीमे से फुसफुसाती — “ये… सब… क्यों… इतना… ज़रूरी… है…”
मैंने जवाब नहीं दिया।
बस चोदता रहा।
थोड़ी देर बाद, उसकी आवाज़ बदलने लगी। वो अब हाँफ रही थी, थरथरा रही थी।
उसके हाथ अब मेरी पीठ से निकल कर बालों तक आ चुके थे — कभी पकड़ती, कभी झटकती।
फिर उसकी आवाज़ आई — वो साफ़-साफ़ बोली —
“मैं तुझसे गुस्से में हूँ… लेकिन तेरा लंड मेरे अंदर होता है, तो सारी शिकायतें चुप हो जाती हैं…”
जब हम दोनों झड़ चुके थे, बदन थका हुआ, और मन किसी गहराई में उतर चुका था।
कोई बात नहीं हो रही थी। बस साँसें चल रही थीं… धीरे, लेकिन साथ में।
कुछ मिनट बाद वो मेरी तरफ मुड़ी। उसकी आँखों में अब कोई उलझन नहीं थी, ना ही कोई झिझक — बस एक सुलझी हुई खामोशी।
उसने मेरा हाथ पकड़ा, अपने सीने पर रखा और धीमे से कहा —
"जब तेरा लंड मेरी चूत में था… तब मैं सिर्फ तेरी थी। ना दिमाग में कोई टेंशन थी, ना कोई उलझन, ना फैमिली, ना काम, ना तेरा attitude — बस तू था… और मैं पूरी तरह तुझमें थी।"
फिर पास आई — मेरे गले पर हल्का, गहरा सा किस किया। जैसे उस स्पर्श से कुछ कहना चाहती हो।
वो मेरे सीने से लिपट गई, और फिर मेरी गर्दन, मेरे होंठ — हर जगह प्यार से चूमने लगी।
कोई जल्दबाज़ी नहीं थी उसमें — जैसे हर छूने में वो खुद को पूरी तरह से खींच देना चाहती थी।
उसकी साँसें तेज़ थीं, लेकिन आवाज़ बेहद मुलायम — शब्दों से ज्यादा उसके स्पर्श बता रहे थे कि जो बातें वो महीनों से मुझसे कह नहीं पाई — वो अब हर चुम्बन में मुझसे कह रही थी।
मैं सब समझ रहा था।
मैं जानता था — अब तक मैंने sex माँगा था, लेकिन कभी उसकी थकान, उसकी उलझन, उसकी ज़रूरत नहीं देखी।
आज जब मैंने उसे चोदा — मुझे सिर्फ शरीर नहीं मिला, मुझे सच में वो मिली।
मुझे एहसास हुआ — जिसे सच में "अपना बनाना" है, उसे सिर्फ चोदना नहीं, उसे समझना भी ज़रूरी है।
जितना सुख हम sex में पाना चाहते हैं, उतना ही दूसरे को देना भी ज़रूरी है।
उसकी ज़रूरतें पूरी करना, उसके मन से बोझ हटाना, उसे महसूस कराना कि वो सिर्फ शरीर नहीं — हमारा हिस्सा है… ये भी हमारी जिम्मेदारी है।
वो मेरी आँखों में देख रही थी। अब उसमें कोई शिकवा नहीं था।
फिर उसने खुद धीरे से कहा —
"आज तू मुझे पूरी तरह से चोद दे आर्यन… इतना कि मैं हमेशा के लिए तुझमें रह जाऊँ। आज मुझे तोड़, थका, भर, और मुझसे कह — अब तू सिर्फ मेरी है… और मैं सिर्फ तेरा।"