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मैं ऋषभ हूँ, 22 साल का। PG में नया था। ऊपर की फ्लोर पर रहती थी निशा – 26 की, अकेली, bold, और हर उस रात की फैंटेसी जिसे मैं रोज़ सोचता था।
वो अक्सर बिना ब्रा के घूमती, टाइट स्लिप्स पहनती और जब मेरी आँखें उस पर अटकतीं, तो सिर्फ मुस्कुरा देती। पर उस दिन… कुछ और ही था।
दोपहर में लाइट चली गई थी। गरमी और पसीने से बदन चिपक रहा था। दरवाज़ा खुला था और तभी वो सीढ़ियाँ उतरती आई – एक ढीली सी cotton की टी-शर्ट और ट्रांसपेरेंट सी स्लिप में। बाल गीले थे, चेहरा थोड़ा पसीने से चमक रहा था।
“ऋषभ, तुम्हारे रूम में पंखा तो है न?”
मैंने बस हाँ कहा। और वो अंदर आ गई, बैठ गई – सीधे बेड पर। मैं साइड में था, पर नज़रें वहीं अटक चुकी थीं – उसकी जाँघों पर, सीने पर, और हल्के से दिख रहे निपल्स पर।
वो मुस्कराई – “बहुत गर्मी है ना?”
मैंने धीरे से जवाब दिया – “हाँ… पर अब और ज़्यादा…”
उसने मेरी तरफ देखा, और धीरे से अपनी टी-शर्ट ऊपर सरका दी। कोई ब्रा नहीं थी। सीने पर दो मोटे गोल उभार, गीले निपल्स चमक रहे थे।
“छू ले ऋषभ… इंतज़ार किसका है…”
मैं पास गया, दोनों हाथों से पकड़ लिया, और होंठों से उसकी छाती को चूसने लगा। मेरी जीभ गोल घूम रही थी, और उसकी सिसकारियाँ कमरे को भर रही थीं।
उसने मेरी शॉर्ट्स नीचे की, लंड सीधा खड़ा था। उसने पकड़ा, हल्के से सहलाया, और खुद अपनी स्लिप हटा दी — चूत पूरी तरह गीली थी, रस टपक रहा था।
मैंने एक झटके में घुसा दिया। Tight, गर्म और भीगी हुई। उसने मेरी कमर कस ली — “तेज कर… पहली बार है पर सब कुछ चाहिए…”
मैंने धीरे-धीरे ठोकरें शुरू कीं। हर बार उसकी चूत की आवाज़ कमरे में गूंजती रही। कुछ ही मिनटों में उसका पहला orgasm आ गया। उसने मेरी पीठ में नाखून गढ़ा दिए और बोली – “अंदर छोड़ दे ऋषभ… रोक मत…”
मैंने भी पूरी गर्मी छोड़ दी – अंदर, गहराई तक।
वो लेटी रही कुछ देर, लेकिन फिर खुद मेरे लंड को चूसने लगी। उसका मुँह, उसकी जीभ… पूरा सर तक लेती रही। और फिर दोबारा चढ़ बैठी — अब reverse में। उसका पिछवाड़ा हिलता रहा और मेरी लंड फिर से उसके अंदर – दूसरी बार।
इस बार और गहरा, और तेज़। उसके नाखून मेरे पैरों में गड़ते रहे, और मैं फिर से फूट पड़ा – उसकी चूत में।
लेकिन रात बाकी थी।
रात को जब मैं सो रहा था, उसने फिर धीरे से आकर मेरा लंड पकड़ा, चूमा, और मुँह में ले लिया। आधे नींद में था, पर वो चूसती रही।
“तीसरी बार चाहिए,” उसने कहा।
मैंने उसकी कमर पकड़ी, उसे मुँह के बल किया – और पीछे से घुस गया। अब आवाज़ें खुली थीं, सिसकारियाँ खुली थीं, और हमारी हवस भी खुल चुकी थी।
तीसरी बार वो खुद चूसी, और जब मैं निकला – सारा लोड उसके मुँह में। उसने निगला, और मेरे होंठों को चूमते हुए बोली – “तू PG वाला है नहीं अब… तू मेरा bed वाला है।”
💦 अब हर दोपहर और हर रात... सिर्फ वही होती है – मेरी निशा, मेरी भूख।